100 रुपए रोजी के लिए दूसरे के खेतों में मजदूरी कर रहे शिक्षक, सरकारी नौकरी के लिए हो चुका है सलेक्शन मगर नहीं मिल रही नियुक्ति

छत्तीसगढ़ के 14 हजार 580 शिक्षक अपनी मौजूदा जिंदगी में हाथ आया पर मुंह न लगा वाली कहावत हर रोज जी रहे हैं। इन्हें सरकारी नौकरी मिल चुकी है। सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए इनका सलेक्शन हो चुका है मगर अब तक नियुक्ति ही नहीं मिली है। पिछले दो सालों से ये रोजगार के लिए परेशान हैं। अब दो वक्त की रोटी के लिए कुछ ग्रामीण इलाकों में ये शिक्षक दूसरे के खेतों में मजदूरी कर रहे हैं। किसी को खेतों में जुताई का काम करने के 100 रुपए रोजाना मिल रहे हैं तो किसी को 350। ऐसे ही बेरोजगार शिक्षकों ने दैनिक भास्कर से बयां की अपनी बातें, पढ़िए उन्हीं के शब्दों में।

पिता ने मुझे सरकारी नौकरी के काबिल बनाया नियुक्ति की आस लिए चल बसे
हमेशा स्पोर्टस में एक्टिव रहने वाले टिकेश साहू खेल के मैदान में नहीं बल्कि अब परिवार की भूख मिटाने की मजबूरी के साथ दूसरे के खेतों में हल चला रहे हैं। टिकेश ने बताया कि साल 2019 में निकली भर्ती में मेरा सलेक्शन व्यायाम शिक्षक के तौर पर हुआ। मेरे पिता खेमलाल टेलरिंग का काम करते थे। मुझे पढ़ाया लिखाया स्पोर्ट्स में भी हर मुमकिन मदद दी। वो चाहते थे मैं सरकारी नौकरी करूं, परिवार को अच्छा भविष्य मिले। मेरी नियुक्ति की तमन्ना उनके दिल में थी हाल ही में कोरोना की चपेट में आने से उनकी मौत हो गई।

पाटन ब्लॉक के झीट गांव में रहने वाले टिकेश ने आगे बताया कि अब परिवार में वो उनकी मां और छोटा भाई ही हैं। दिन भर खेत में काम करने के बदले 300 रुपए तक की मजदूरी मिलती है। इसी से घर चला रहे हैं। जब पिता जी जिंदा थे परिवार का पालन वही करते थे, मगर चूंकि अब तक हमें नौकरी नहीं मिली इसलिए गांव में मिलने वाले खेतों में मजदूरी का काम ही कर रहे हैं।

100 रुपए रोजी मिलती है, 20 हजार का तो कर्ज ले चुका हूं
सुबह 8 बजे से शाम तक काम करता हूं। बदले में 100 रुपए तो कभी 150 रुपए मिल जाते हैं। दुखी मन से ये बात बेरोजगार शिक्षक मदन कुमार एक्का ने बताई। रायगढ़ जिले के लैलुंगा ब्लॉक में रूपडेगा गांव में रहने वाले मदन आस-पास के प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते थे। लॉकडाउन में काम छिन गया, काबिलियत के दम पर सरकारी टीचर भर्ती में सलेक्ट हुए मगर अब तक नियुक्ति नहीं मिली। मदन कहने लगे कि परिवार का जिम्मा मेरी ही कंधों पर है। घर में पत्नी दो बच्चे, मां-पिता और तीन बहनें हैं। कुछ दिन पहले तक कर्ज लेकर बुजुर्गांे की दवा और दूसरी जरूरतें पूरी कीं 20 हजार रुपए का कर्ज लिया। जैसे-तैसे चल रही है जिंदगी, मगर कब तक ये चलेगा पता नहीं

ये है मूल परेशानी
2019 में सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए सरकार ने 14580 युवाओं को चुना मगर अब तक नियुक्ति नहीं दी गई। करीब ढाई साल से नौकरी दिए जाने की मांग की जा रही है। छत्तीसगढ़ के प्रशिक्षित डीएड-बीएड संघ संगठन के प्रमुख दाउद खान ने बताया कि प्रदेश में 14 हजार 580 शिक्षकों का चयन हो चुका है मगर भर्ती नहीं हो रही। इससे पहले सभी शिक्षक किसी न किसी प्राइवेट स्कूल में नौकरी कर रहे थे, सभी ने इस आस में नौकरी छोड़ दी कि उन्हें सरकार की तरफ से रोजगार मिलना था। अब कोई दूसरी नौकरी इसलिए नहीं मिलती क्योंकि ये उम्मीदवार चयनित हैं।

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